मावलिननॉंग या मौलिन्नोंग गांव- पूर्वी खासी हिल्स में एक खूबसूरत आकर्षण
प्रकृति ने भारत को सभी प्राकृतिक संसाधनों से पोषित किया है। उन्होंने हम पर सभी प्रकार के मौसम, वनस्पतियों, जीवों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों की वर्षा की है। प्रकृति ने भारत को चारो ओर से अपने सुन्दर आवरण से ढके हुए है। भारत का एक ऐसा ही राज्य है मेघालय जो प्रकृति सम्पदाओं से परिपूर्ण है। मेघालय भारत के खूबसूरत राज्यों में से एक है। इसकी प्राकृतिक खूबसूरती को देखकर ब्रिटिश अधिकारियों ने इसे भारत का 'पूर्व का स्काटलैण्ड' की संज्ञा दी है। खूबसूरत पहाड़ों, नदियों, झरनों और हरियाली से भरपूर, मेघालय राज्य भारत के पर्यटन स्थलों का एक केंद्र है। यहाँ पर वर्ष के बारहो महीने पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। इस राज्य कि खूबसूरती का दीदार करने के लिए देश-विदेश से भारी संख्या में पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। शिलॉन्ग, चेरापूंजी, दाऊकी और मावसिनराम के अलावा मेघालय में एक और खूबसूरत और साफ-सुथरा गांव है, जिसका नाम मावलिननॉंग है। मावलिननॉंग गांव पूर्वी खासी हिल्स जिले में स्थित है।
मावलिननोंग गांव भारत का ही नहीं अपितु एशिया का सबसे स्वच्छ गांव है। ट्रेवल पत्रिका डिस्कवर इंडिया ने वर्ष २००३ में इस गाँव को एशिया में और वर्ष २००५ में भारत का सबसे स्वच्छ ग्राम घोषित किया यह गांव अपनी स्वच्छता के साथ-साथ अपनी खूबसूरती के लिए देशी और विदेशी पर्यटकों के बिच आकर्षण का केंद्र है। जब भी आप मेघालय घूमने का प्लान बना रहे है तो मावलिननोंग गांव को अवश्य सम्मिलित करे। ऐसा कहा जाता है कि मेघालय कि यात्रा मावलिननोंग गांव के बिना अधूरी है। ये एक ऐसा स्थान है जहाँ प्रकृति और उसके आस-पास का आनंद आपको अपने मूल में ले जाता है। मावलिननोंग कि खूबसूरती आपको मंत्रमुग्ध कर देगी। यहाँ की बेहतरीन यादों को आप जब कभी याद करेंगे तो ख़ुशी से झूम उठेंगे। यहाँ घूमने के लिए आप गुवाहाटी से मौलिन्नोंग टैक्सी सेवा की सहायता ले सकते हैं।
मावलिननॉन्ग की जलवायु इतनी प्राकृतिक और पवित्र है कि इसे 'गॉड्स ऑन गार्डन' भी कहा जाता है। इस गाँव को 'गार्डन ऑन गॉड्स' बनाने का पूरा श्रेय गाँव के लोगों और श्री रेशम खंगथोरम को जाता है। एशिया का सबसे स्वच्छ गाँव होने से पहले, यह गाँव देश के किसी भी गाँव जैसा था। लेकिन कुछ समय पहले, हैजा नमक महामारी के प्रकोप के कारण इस गाँव में दहशत का माहौल था। इस बीमारी से बचने के लिए इलाज के साथ-साथ साफ-सफाई रखना बहुत जरूरी था। क्योंकि गंदगी ही सभी बीमारियों की जड़ है। श्री रेशम खंगथोरम पेशे से एक स्कूल शिक्षक थे। उन्होंने यहां के लोगों को बीमारियों से बचाव के लिए अपने घरों और आसपास के क्षेत्र को साफ और स्वच्छ रखने के सुझाव दिए। तब से, यहां के लोगों ने स्वच्छता पर अधिक ध्यान देते हुए इस गांव को एशिया का सबसे स्वच्छ गांव बनाने में कामयाबी हासिल की।
स्वच्छता बनाए रखने के लिए, प्रत्येक 30 मीटर की दूरी पर एक बांस की टोकरी रखी जाती है। इस टोकरी में सारा कचरा एकत्र किया जाता है। और एकत्र करने के बाद इसे खेतों में उर्वरक के रूप में उपयोग किया जाता है। इस गांव में प्लास्टिक के साथ-साथ धूम्रपान भी वर्जित है। यदि कोई व्यक्ति इस नियम का उल्लंघन करता है, तो कड़ी सजा का प्रावधान है। स्वच्छता को सुचारू बनाए रखने के लिए गांव के सभी घरों में शौचालय का निर्माण किया गया है। स्वच्छता के लिए, जहां लोग सरकार पर निर्भर हैं। इसके विपरीत, यहां के लोग खुद सफाई का काम करते हैं। इन लोगों का मानना है कि यह काम उनकी जिम्मेदारी है।
स्वच्छता और सुंदरता के साथ-साथ, यहाँ गाँव की साक्षरता दर 100% है। यहां के लोग अपनी मातृभाषा के साथ-साथ अंग्रेजी भी बहुत अच्छी तरह से बोलते हैं। अगर आप यहां घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो आपको यहां के लोगों से बात करने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
स्वच्छता और सुंदरता के अलावा इस गांव को और भी खास बनता है यहाँ की मातृवंशीय समाज रीति। भारत में मेघालय राज्य के मावलिननॉन्ग गांव के अलावा केरल राज्य का नायर नंपूतिरि समुदाय, पोतुवाल समुदाय भी मातृवंशीय समाज है। मातृवंश व्यवस्था में कुल पुत्रियों के द्वारा चलता है। इस रीति के अनुसार सम्पत्ति और धन दौलत माँ अपनी सबसे बड़ी पुत्री को देती है। यहाँ के बच्चे अपने माँ का ही सरनेम लगते है। यहाँ रहने वाले अधिकतर लोग खासी समुदाय के हैं। जीवन यापन करने के लिए यहां के लोगो का मुख्या व्यवसाय कृषि है। यहां की मुख्या फसल तेज पत्ता और सुपारी है। इस सब के अलावा यहां पर संतरे की भी खेती अधिक मात्रा में होती है।
आप किसी भी मौसम में इस खूबसूरत गांव को देखने जा सकते हैं। लेकिन आपके लिए यहां जाने का सबसे अच्छा मौसम जुलाई का महीना होगा। मानसून के मौसम में, इस गांव की सुंदरता अद्भुत है। इस महीने का नजारा यहां देखने लायक होता है। मानसून के मौसम के दौरान, चारों ओर हरियाली होती है, और झरने पूरे जोरों पर होते हैं। यदि आप स्वच्छ नदियों को देखना चाहते हैं, तो नवंबर से फरवरी आपके लिए सबसे अच्छा मौसम होगा।
मावलिननग विलेज का निकटतम हवाई अड्डा शिलांग है जो 78 किमी की दूरी पर स्थित है। शिलांग से, आप मावलिननॉंग गाँव के लिए एक स्थानीय टैक्सी ले सकते हैं। इस गांव में प्रवेश करने के लिए, आपको प्रवेश शुल्क 50 रुपये देना होगा।
अगर पर्यटन के दृष्टिकोण से देखा जाए तो इस गाँव का महत्व केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे एशिया में है। मावलिननग गाँव को देखने के लिए देश और विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। प्रकृति की गोद में बसा यह गांव प्रकृति प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग की तरह है। जैसा कि मैंने आपको पहले ही बताया है, इस गाँव को 'गॉड्स ओन गार्डन' भी कहा जाता है। इसलिए, यह जगह प्रकृति प्रेमियों के लिए बहुत खास है।
यहां घूमने के लिए आपको कई खूबसूरत जगहें मिलेंगी। यहां का सबसे पुराना चर्च 'चर्च ऑफ द एपिफनी' है। सालों पुराना होने के बावजूद इसकी खूबसूरती में थोड़ी भी कमी नहीं आई है। काफी समय पहले से मावलिनॉन्ग में एक छोटे से पत्थर पर एक विशालकाय शिला आज भी टिकी हुई है। इस पत्थर को 'माँ रिंगकू शरतीया' कहा जाता है।
यहां की अधिकांश वस्तुएं बांस से बनी हैं। पेड़ों के ऊपर बने 'ट्री हाउस' देखने लायक हैं। बांस की लकड़ी से बने आकाश के दृश्य पर जाएं। इस आसमानी नज़ारे से आप शिलांग का खूबसूरत नज़ारा देख सकते हैं।
इस गाँव का मुख्य आकर्षण लिविंग रूट ब्रिज है। यह पुल रबर के पेड़ों की जड़ों से बना है। यह पुल मेघालय को छोड़कर कहीं भी नहीं पाया जाता है। इस जीवित पुल को देखने के लिए दुनिया भर से पर्यटक आते हैं। इस पुल पर चलने का अपना अलग ही एहसास है। इस गांव की सुंदरता को जोड़ने के लिए, यहां का झरना पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र है। यह झरना मानसून के मौसम में पूरे जोरों पर है।
यहाँ पर रात में ठहरने और खाने-पीने की चीजों के लिए आपको कोई असुविधा नहीं होगी। क्योकि इस गांव का तक़रीबन हर तीसरा घर एक होमस्टे है।
Read in English- Mawlynnong Village: A Surpassing View in the Valley of Khasi Hills
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