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रीवा घाट वाराणसी

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प्राचीन काल में, जब इस स्थल का नाम लीलाराम घाट था, तब रीवा के महाराजाओं ने इसे अपने द्वारा खरीदने के पश्चात् इसका नाम बदलकर रीवा घाट कर दिया गया। यह विशेष स्थान गंगा नदी की उग्र लहरों के साथ निरंतर सामर्थ्य महसूस करता है, और इस इमारत को जल प्रवाह से बचाने के लिए सीधियों को तत्परता से डिजाइन और निर्माण किया गया है। रीवा घाट, जो पूर्व में लीलाराम घाट के नाम से जाना जाता था, गंगा महाल घाट के सीधे कदमों पर बसा है और इसकी आलावा से इसे देखना वास्तव में एक रोमांटिक अनुभव है। इसमें उच्चतम स्तर की ग्रैंड्यूर है जो गंगा घाट की ओर से दृष्टि को मोहित करती है। इस घाट के साथ-साथ दूसरे घाटों का भी भ्रमण करना चाहते हैं तो आप वाराणसी टैक्सी की सहायता लेकर आसानी से घूम सकते हैं। इस स्थल को रीवा घाट कहा जाने का कारण है कि इसे पूर्व में लीलाराम घाट कहा जाता था, जिसे रीवा के महाराजा ने खरीदा और उसका नाम बदल दिया। इस घाट का अनुभव उस समय के वास्तुशिल्प की धाराओं और कलाओं को दर्शाता है। इस गंगा किनारे स्थित सुंदर इमारत का निर्माण लाल मिस्र नामक पंजाब के राजा रणजीत के पुरोहित द्वारा किया गया था। इसकी शानदार

वाराणसी में घूमने के लिए कहाँ जाएँ ?

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वाराणसी जो धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों के लिए जाना जाता है, इसके पास ऐसे सैकड़ों भव्य दृश्य वाले जगह हैं जो दिल को छू सकते हैं। यह एक ऐसा स्थल है जो घाटों और मंदिरों के लिए सबसे ज्यादा  प्रसिद्ध है। तथा  भगवान शिव के नाम से मशहूर यह काशी नगरी, मंदिरों और घाटों के अलावा बहुत सारे अन्य भव्य दृश्यों का दर्शन कराती है जो दर्शनीय है। इनमे भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ, तुलसी दास जी का वह निवास स्थल जहाँ बैठ कर वह राम चरित मानस लिखा करते थे जो अब तुलसी मानस घाट और मंदिर है। ऐसे अनेकानेक जगह है जो मन को मोह सकते हैं। आइये ऐसे ही कुछ स्थलों पर एक झलक डालते हैं।     1. घूमने के लिए धार्मिक स्थल:   जैसा की पहले ही जान चुके हैं की यह मंदिर और घाटों का शहर है। अतः एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक आपको इतने सारे घाट और मंदिर मिलेंगे की आप घूमते रह जायेंगे।  ये सब इस शहर के प्राण हैं जो इसकी सुंदरता और भव्यता के प्रतिक हैं। इस श्रेणी में अगर घाटों की बात करें तो दशश्वमेध घाट, हरिश्चंद्ब घाट, मणिकर्णिका घाट, तुलसी मानस घाट, शीतला घाट, गाय घाट, ललित घाट, मन मंदिर घाट, लाल घाट, जान