रीवा घाट वाराणसी
प्राचीन काल में, जब इस स्थल का नाम लीलाराम घाट था, तब रीवा के महाराजाओं ने इसे अपने द्वारा खरीदने के पश्चात् इसका नाम बदलकर रीवा घाट कर दिया गया। यह विशेष स्थान गंगा नदी की उग्र लहरों के साथ निरंतर सामर्थ्य महसूस करता है, और इस इमारत को जल प्रवाह से बचाने के लिए सीधियों को तत्परता से डिजाइन और निर्माण किया गया है। रीवा घाट, जो पूर्व में लीलाराम घाट के नाम से जाना जाता था, गंगा महाल घाट के सीधे कदमों पर बसा है और इसकी आलावा से इसे देखना वास्तव में एक रोमांटिक अनुभव है। इसमें उच्चतम स्तर की ग्रैंड्यूर है जो गंगा घाट की ओर से दृष्टि को मोहित करती है। इस घाट के साथ-साथ दूसरे घाटों का भी भ्रमण करना चाहते हैं तो आप वाराणसी टैक्सी की सहायता लेकर आसानी से घूम सकते हैं। इस स्थल को रीवा घाट कहा जाने का कारण है कि इसे पूर्व में लीलाराम घाट कहा जाता था, जिसे रीवा के महाराजा ने खरीदा और उसका नाम बदल दिया। इस घाट का अनुभव उस समय के वास्तुशिल्प की धाराओं और कलाओं को दर्शाता है। इस गंगा किनारे स्थित सुंदर इमारत का निर्माण लाल मिस्र नामक पंजाब के राजा रणजीत के पुरोहित द्वारा किया गया था। इसकी शानदार